नई दिल्ली पैरा वर्ल्ड बैडमिंटन चैंपियनशिप में भारत ने 12 पदक जीते। मंगलवार को खेलमंत्री ने इन खिलाड़ियों को सम्मानित किया। पैरा बैडमिंटन खिलाड़ियों को पहली बार नकद धनराशि दी गई। इसके लिए नियम भी बदले गए। बुधवार सुबह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी इन खिलाड़ियों को बधाई दी। पीएम ने ट्वीट किया- '130 करोड़ भारतीयों को पैरा बैडमिंटन दल पर बहुत गर्व है। इस दल ने बीडब्ल्यूएफ वर्ल्ड बैडमिंटन चैंपियनशिप 2019 में 12 पदक जीते। पूरी टीम को बहुत-बहुत बधाई जिनकी कामयाबी काफी खुशी देने वाली और प्रेरणादायी है। इनमें से हर खिलाड़ी असाधारण है।' इनमें से ही एक खिलाड़ी हैं मानसी जोशी। महाराष्ट्र की रहने वालीं इस खिलाड़ी ने महिला एकल में गोल्ड मेडल जीता- को बचपन से ही बैडमिंटन में दिलचस्पी थी। मुंबई के भाभा एटॉमिक रिसर्च सेंटर के पिता काम करते थे और यहीं मानसी ने इस खेल की बारीकियां सीखनी शुरू कीं। मानसी के खेल में निखार आने लगा और स्कूल और जिला स्तर पर उन्होंने खिताब जीतने शुरू कर दिए। लेकिन 2011 में उनकी जिंदगी हमेशा के लिए बदल गई। एक सड़क दुर्घटना के चलते वह करीब दो महीने तक अस्पताल में रहीं। पढ़ाई से इलेक्ट्रॉनिक इंजीनियर 30 वर्षीय मानसी ने हार नहीं मानी और 8 साल बाद उन्होंने , बासेल स्विटजरलैंड में सोने का तमगा जीता। रविवार को पीवी सिंधु के खिताब जीतने से कुछ घंटे पहले मानसी पदक जीत चुकी थीं। फाइनल में उनके सामने उन्हीं के राज्य की पारुल परमार थीं। पारुल डिफेंडिंग चैंपियन थीं। मानसी ने महिला एकल SL3 के फाइनल में जीत हासिल की। इस कैटिगरी में वे खिलाड़ी शामिल होते हैं जिनके एक या दोनों लोअर लिंब्स काम नहीं करते और जिन्हें चलते या दौड़ते समय संतुलन बनाने में परेशानी होती है। जीत के बाद मानसी ने अपने फेसबुक पेज पर खुशी जाहिर की। उन्होंने लिखा- 'मैंने इसके लिए कड़ी मेहनत की है और मैं बहुत खुश हूं कि इसके लिए बहाया गया पसीना और मेहनत रंग लाई है। यह वर्ल्ड चैंपियनशिप में पहला गोल्ड मेडल है।' मानसी ने इसके लिए गोपचंद अकादमी के अपने कोचिंग स्टाफ का भी शुक्रिया अदा किया। इसके साथ ही उन्होंने गोपीचंद का भी शुक्रिया अदा किया। उन्होंने लिखा- 'गोपी सर मेरे हर मैच के लिए मौजूद रहने के लिए बहुत-बहुत शुक्रिया।' दुर्घटना ने मानसी के शरीर को चोट पहुंचाई लेकिन उनके हौसले को डिगा नहीं पाई। ट्रक से लगी उस चोट के लिए मानसी को अपनी बाईं टांग गंवानी पड़ी। लेकिन कृत्रिम टांग के जरिए वह फिर खड़ी हुईं और खेलना शुरू किया। उनकी आंखों में बैडमिंटन का सपना था। वह हैदराबाद के पुलेला गोपीचंद अकादमी में पहुंची। 2017 में साउथ कोरिया मे हुई वर्ल्ड चैंपियनशिप में उन्होंने ब्रॉन्ज मेडल जीता। इससे पहले 2015 में उन्होंने पैरा वर्ल्ड चैंपियनशिप में मिक्स्ड डबल्स में सिल्वर मेडल जीता था। फिर उनकी आंखों में सोने का तमगा जीतने का सपना पलने लगा। उन्होंने उसकी तैयारी और फिर 25 अगस्त को उसे हासिल किया।
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पैरा वर्ल्ड बैडमिंटन: हौसले की मिसाल है मानसी की कहानी
Reviewed by Ajay Sharma
on
August 27, 2019
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