मुंबई पूर्व राष्ट्रीय चयनकर्ता और भारतीय क्रिकेट टीम के मौजूदा बल्लेबाजी कोच विक्रम राठौड़ (Indian Team Batting Coach ) के लिए भारतीय टीम के साथ सफर उतार-चढ़ाव भरा रहा है। राठौड़ (Rathour) ने हमारे सहयोगी अखबार टाइम्स ऑफ इंडिया के साथ भारतीय टीम की बल्लेबाजी की फिलॉसफी, भारतीय टीम के बल्लेबाजों और भविष्य की दिशा के बारे में खुलकर बात की। भारतीय टीम के बल्लेबाजी कोच के रूप में आपकी मानसिकता कैसी है? हमारा विचारों सभी तरह के विचारों को लेकर खुली मानसिकता रखना है। यह समझना जरूरी है कि यहां मैन-मैनेजमेंट ज्यादा अहमियत रखता है। आपसी बातचीत बहुत ज्यादा जरूरी हो जाती है। पुजारा के साथ बात करना और पंत के साथ बात करना, बिलकुल ही अलग होता है। वे दोनों बिलकुल ही अलग व्यक्तित्व हैं। यहां आपको दोनों के लिए अलग सेशन करने पड़ते होंगे। और दोनों बार अलग अप्रोच के साथ... टीम की बात करें तो ग्रुप डिस्कशन काफी अच्छी तरह काम करता है। मैंने इसके साथ जो काम करना शुरू किया है उसमें वन-ऑन-वन बातचीत भी शुरू कर दी है। चाहे वह पुजारा हो या पंत हर किसी की अलग मानसिकता होती है। अलग तरीका आजमाना और उन्हें सुनना ही मेरे लिए उन्हें समझने का एकमात्र रास्ता है। चलिए पुजारा की बात करते हैं- वह काफी समर्पित हैं, काफी जज्बे वाले हैं और बहुत अनुशासित हैं। वह अपने निजी जीवन में भी सामान्य तौर पर ऐसे ही हैं। उनका काफी कड़ा रूटीन है और वह उसका सख्ती से पालन भी करते हैं। और फिर आपकी टीम में पंत हैं। जो निडर हैं, बहुत मजा करना चाहते हैं, उन्हें अपने चांस लेना पसंद है। शुरुआत से ही गेंदबाज पर हावी होना उन्हें पसंद है। और वह अपने निजी जीवन में भी ऐसे ही हैं। अब कोई टीम में सभी 11 खिलाड़ी पुजारा या सभी 11 खिलाड़ी पंत जैसे नहीं रख सकती, सही बात है न? जीत का सही तालमेल बैठान के लिए पंत और पुजारा का सही तालमेल होना जरूरी है। उन्हें उनका स्वाभाविक रूप बनाए रखने में मदद करनी चाहिए। मेरे लिए चुनौती यह है कि क्या मैं पुजारा को अपने तरकश में एक और शॉट जोड़ने के लिए मना सकता हूं। क्या मैं उन्हें मना सकता हूं कि जब परिस्थितियां मांग करें तो मैं उन्हें अधिक आक्रामक होने को मना सकूं? और क्या मैं पंत से पुजारा से कुछ सीखने के लिए मना सकता हूं। क्या मैं उन्हें समझा सकता हूं कि जब परिस्थिति ऐसी हो तो आक्रामक होने से पहले कुछ गेंदें आराम से खेल लें। भारतीय टीम ने ऑस्ट्रेलिया में काफी बड़े दल के साथ दौरा किया। इंग्लैंड में भी टीम 24 सदस्यीय दल के साथ गई है। अधिक खिलाड़ियों में से चुनने की 'समस्या' कितनी मददगार है? किसी स्थान के लिए खिलाड़ियों में प्रतिस्पर्धा होना अच्छा होता है। यह उन्हें सर्वश्रेष्ठ करने के लिए प्रेरित करता है। इसके साथ ही मुझे लगता है कि जिस भी खिलाड़ी ने इतना उतार-चढ़ाव या मेहनत का सामना कर भारतीय टीम में जगह बनाई है, उसने बड़ी उपलब्धि हासिल की है। तो जो भी खिलाड़ी यहां पहुंचा है उसे पर्याप्त मौके और सही सपॉर्ट मिलना चाहिए। रोहित शर्मा का बदलाव और सभी प्रारूपों में उन्होंने जिस तरह खुद को तैयार कर प्रदर्शन किया है वह लाजवाब है। हम टेस्ट क्रकिटे में काफी अलग रोहित शर्मा देख रहे हैं... रोहित अब पूरी तरह अपने नियंत्रण में हैं। उनके विचार... वह क्या करना चाहते हैं... वह क्या हासिल करना चाहते हैं और अपने करियर को किस दिशा में लेकर जाना चाहते हैं, सब कुछ रोहित के दिमाग में बिलकुल स्पष्ट है। रोहित के पास हमेशा से वह दक्षता और प्रतिभा थी कि वह टेस्ट क्रिकेट में भी सफल हो सकें। हाल के कुछ वक्त में उसने इस फॉर्मेट के लिए अपना गेम-प्लान समझ लिया है। 2019 से टेस्ट क्रिकेट में बतौर ओपनर वापसी के बाद देखिए, उन्होंने अपने खेल को किस तरह बदला है। उनके पास हमेशा से एक गेम-प्लान और तरीका था जिसने उन्हें बाकी फॉर्मेट में एक कामयाब खिलाड़ी बनाया है। उन्होंने अन्य प्रारूपों में जमकर रन बटोरे हैं। पर शायद, पहले टेस्ट क्रिकेट को लेकर वह इतने आश्वस्त नहीं थे। अब वह पारी की शुरुआत करते हुए अधिक रिलैक्स और अनुशासित हैं। और एक बार वह सेट हो जाएं तो हम सब जानते हैं कि वह क्या कर सकते हैं। क्या आप 36 ऑल आउट पर बात कर सकते हैं? हम इसे एक अजीब घटना के तौर पर देखते हैं। इसका काफी श्रेय विराट, रवि और बाकी टीम प्रबंधन को जाता है। हमें अपना ध्यान जल्द ही आने वाले मैचों पर लगा दिया था। अगर आप उस पारी को ध्यान से देखें तो कोई भी बल्लेबाज खराब शॉट खेलकर आउट नहीं हुआ। असल में, हमने उस सीरीज के लिए काफी अच्छी तरह तैयारी की थी। जब टीम 36 पर आउट हुई तो सभी को साफ संदेश दिया गया, 'देखो, कुछ भी बदलने या पीछे देखने की जरूरत नहीं है। आगे की सोचो और अपने जेहन में संदेह न आने दें।' और फिर मेलबर्न में अजिंक्य रहाणे की पारी के बारे में क्या कहेंगे... कई विशेषज्ञों ने हमें चुका हुआ बता दिया था। किसी ने हमें कोई चांस नहीं दिया था। विराट जा रहे थे और अजिंक्य अगले टेस्ट के लिए टीम की कमान संभाल रहे थे। जिम्मेदारी कई गुणा बड़ी थी। जिस तरह का अनुशासन उन्होंने दिखाया वह कमाल का था। वह हड़बड़ी में नहीं थे। मुझे याद है कि मुझसे एक बार बातचीत में उन्होंने कहा था कि कट उनका पसंदीदा शॉट है। लेकिन अगर आप उस पारी को ध्यान से देखें तो मेरे ख्याल से उन्होंने अपना पहला कट शॉट तब खेला जब वह शतक के करीब पहुंच गए थे। वर्ल्ड टेस्ट चैंपियनशिप फाइनल भी आने वाला है, भारत की तैयारियां कैसी हैं? वर्ल्ड टेस्ट चैंपियनशिप एक वर्ल्ड कप है। और इसे इसी तरह देखा जाना चाहिए। टीम वहां स्पष्ट मानसिकता के साथ जाएगी। अगर हमें इंग्लैंड में ज्यादा समय मिलता तो बेहतर रहता लेकिन ये सब चीजें हमारे नियंत्रण से बाहर हैं।
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विक्रम राठौड़ ने बताया कोचिंग का मूलमंत्र, कहा यह असल में मैन-मैनेजमेंट है
Reviewed by Ajay Sharma
on
June 03, 2021
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