'खौफनाक' टेस्ट: जब चोटिल होकर हॉस्पिटल पहुंचे भारतीय बल्लेबाज

नई दिल्ली साल 1976 में भारतीय टीम वेस्ट इंडीज दौरे पर गई थी। 4 टेस्ट की इस सीरीज में टीम इंडिया तीन टेस्ट की समाप्ति के बाद 1-1 की बराबरी पर थी। भारतीय टीम ने यहां पोर्ट ऑफ स्पेन में खेले गए सीरीज के तीसरे टेस्ट में मैच की चौथी पारी में 403 रन के लक्ष्य को पाने में सफलता हासिल की थी। यह टेस्ट क्रिकेट इतिहास में दूसरा ही मौका था, जब किसी टीम ने मैच की चौथी पारी में 400 से ज्यादा रन का लक्ष्य पाने में कामयाबी पाई हो। सीरीज का चौथा टेस्ट मैच जमैका के किंगस्टन मैदान पर खेला गया था। यह उस सीरीज का निर्णायक टेस्ट मैच था और भारतीय टीम ने वेस्ट इंडीज को मैच के चौथे दिन सिर्फ 13 रन का ही लक्ष्य दिया। तब कप्तान बिशन सिंह बेदी ने अपने अंतिम 5 बल्लेबाजों को क्रीज पर उतारने से ही मना कर दिया। दरअसल उन दिनों वेस्ट इंडीज की टीम एक अलग रुतबे के साथ ही मैदान पर खेलती थी। भारत से अपनी हार बर्दाश्त नहीं कर पाई थी विंडीज की टीम भारत के इस दौरे पर मेजबान टीम के कप्तान क्लाइव लॉयड थे और भारतीय टीम ने उनकी टीम के खिलाफ 400 रन बनाकर सफल चेज किया तो विंडीज की टीम इस हार को बर्दाश्त नहीं कर पा रही थी। लॉयड की टीम ने अगले टेस्ट में अलग रणनीति बनाई और भारतीय बल्लेबाजों को बॉडीलाइन बोलिंग कर एक बार फिर विंडीज का वह खौफ दिखाने की चाल चली, जिसके लिए वह जानी जाती है। किंगस्टन में निर्णाय टेस्ट और भारत ने की मजबूत शुरुआत चौथे टेस्ट में मैदान पर उतरने से पहले तीसरा टेस्ट जीतकर आई भारतीय टीम के हौसले बुलंद थे। कप्तान क्लाइव लॉयड ने टॉस जीतकर यहां फील्डिंग का फैसला किया। भारत ने उम्मीद के मुताबिक शानदार शुरुआत की। पहले विकेट के लिए सुनील गावसकर (66) ने अंशुमन गायकवाड़ के साथ मिलकर 136 रन जोड़े। गावसकर को माइकल होल्डिंग ने बोल्ड कर पविलियन भेजा। माइकल होल्डिंग ने किया भारतीय खिलाड़ियों को घायल दूसरे विकेट के रूप में मोहिंदर अमरनाथ (39) आउट हुए, तो भारत का स्कोर 205 रन था। इसके बाद अंशुमन गायकवाड़ (81*) और बृजेश पटेल (14*) को चोट लग गई और वे दोनों रिटायर्ड हर्ट हुए। गायकवाड़ के गेंद बाएं कान पर लगी थी और उन्हें अगले दो दिन अस्पताल में ही गुजारने पड़े। इसी तरह माइकल होल्डिंग की गेंद बृजेश पटेल के चेहरे पर लगी थी, जिससे डॉक्टरों को उनके मुंह पर टांके लगाने पड़े। इस बीच गुंडप्पा विश्वनाथ भी चोटिल हुए थे और उन्हें भी अस्पताल जाना पड़ा था। कप्तान विशन सिंह बेदी ने 306 रन पर ही की पारी घोषित ऐसे में कप्तान बिशन सिंह बेदी ने तय किया की पहली पारी को यहीं घोषित कर देना बेहतर है वरना होल्डिंग ऐंड कंपनी उनके और खिलाड़ियों को भी चोटिल कर सकती है। भारत ने 306 रन के स्कोर पर ही अपनी पहली पारी घोषित कर दी। इसके बाद वेस्ट इंडीज की टीम 391 रन बनाकर ऑल आउट हुई और पहली पारी के आधार पर उसने 85 रन की बढ़त हासिल की। इस बीच फील्डिंग के दौरान कप्तान बिशन सिंह बेदी और चंद्रशेखर भी चोटिल हो गए। 97 रन पर विचित्र ढंग से ऑल आउट हुई टीम इंडिया दूसरी पारी में गावसकर कुछ खास नहीं कर पाए और 2 रन बनाकर होल्डिंग की ही गेंद पर आउट हो गए। चोटिल गायकवाड़ बल्लेबाजी और बृजेश पटेल इस बार बैटिंग पर नहीं उतर पाए और ओपनिंग पर आए दिलीप वेंगसरकर (21) और मोहिंदर अमरनाथ (60) ने भारत की पारी को संभालने का प्रयास किया। वेंगसरकर जब आउट हुए तब भारत का स्कोर 68 रन ही था। इसके बाद 97 के स्कोर पर एक-एक कर मदन लाल (8), मोहिंदर अमरनाथ (60) और एस. वैंकटराघवन (0) पविलियन लौट गए। बिना खेले 5 बल्लेबाज हुए आउट भारतीय टीम ने अभी मेजबान टीम पर 12 रन की ही बढ़त बनाई थी। लेकिन जो सुरक्षित 5 विकेट थे वह टीम इंडिया गंवा चुकी थी और पहली पारी में चोटिल हुए तीन बल्लेबाज बैटिंग करने की स्थिति में नहीं थे। आखिर में कप्तान बेदी ने 97 रन के कुल स्कोर पर अपने बाकी बल्लेबाज मैदान पर नहीं उतारने का फैसला किया। चौथी पारी में भारत ने दिया 13 रन का लक्ष्य इस तरह भारत के शेष 5 विकटों को ऐब्सेंट आउट (मैदान पर न उतरने के चलते) माना गया और टीम इंडिया 97 रन पर ऑल आउट हो गई। अब मैच जीतने के लिए विंडीज टीम को सिर्फ 13 रन दरकार थी। यह टारगेट मेजबान टीम ने 1.5 ओवर में ही पूरा कर लिया और इस तरह यह मैच उसने 10 विकेट से अपने नाम किया और सीरीज पर भी 2-1 से कब्जा जमा लिया।


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'खौफनाक' टेस्ट: जब चोटिल होकर हॉस्पिटल पहुंचे भारतीय बल्लेबाज 'खौफनाक' टेस्ट: जब चोटिल होकर हॉस्पिटल पहुंचे भारतीय बल्लेबाज Reviewed by Ajay Sharma on August 30, 2019 Rating: 5

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