प्रशांत मेनन, तिरूवनंतपुरम साल 2009 के इंडियन प्रीमियर लीग में शतक लगाकर ने अचानक भारतीय क्रिकेट जगत का ध्यान अपनी ओर खींचा था। वह इस लीग में सेंचुरी लगाने वाले पहले भारतीय थे। लेकिन इसके बाद भी राष्ट्रीय टीम में जगह बनाने के लिए उन्हें छह साल का इंतजार करना पड़ा। साल 2015 में जिम्बाब्वे दौरे पर गई भारतीय टीम में उन्हें जगह मिली। भारतीय टीम वर्ल्ड कप के बाद इस अफ्रीकी देश के दौरे पर गई थी। टीम इंडिया के लिए मजबूत मध्यक्रम बल्लेबाज की तलाश वहीं से शुरू हो गई थी। वह बताते हैं कि नैशनल क्रिकेट अकादमी में राहुल द्रविड़ के साथ काम करने का उन्हें बहुत फायदा हुआ। उन्होंने कहा कि द्रविड़ ज्यादातर मानसिक दृढ़ता के बारे में बात करते हैं। पांडे ने अपनी पहली ही वनडे पारी में 71 रन बनाए। उनकी बल्लेबाजी में लय नजर आ रही थी। एक साल भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच वनडे इंटरनैशनल सीरीज के आखिरी मैच में उन्होंने 81 गेंदों पर 104 रनों की पारी खेली। इसकी बदौलत टीम इंडिया ने वह यादगार छह विकेट की जीत हासिल की। इस पारी के बाद ऐसा लगा कि टीम इंडिया की मध्यक्रम को लेकर मिल रही चुनौतियों का जवाब पांडे के रूप में मि गया है। लेकिन इसके बाद हालात में बदलाव आया। पांडे के प्रदर्शन में निरंतरता का अभाव देखा गया। ऊपर से चोट की वजह से पांडे तीन साल से राष्ट्रीय टीम से बाहर रहे। हालांकि वर्ल्ड कप 2019 के लिए मध्यक्रम बल्लेबाज के लिए पांडे के नाम पर विचार किया गया लेकिन चूंकि वह मिले मौकों का वह फायदा नहीं उठा पाए। वर्ल्ड कप सेमीफाइनल में भारतीय टीम की हार के बाद चयनकर्ताओं ने एक बार फिर मजबूत मिडल-ऑर्डर बल्लेबाज की तलाश शुरू कर दी है। और चार साल पहले वाली स्थिति एक बार फिर सामने आ रही है। मनीष पांडे फिर एक बार खुद को दावेदार के रूप में देख रहे हैं। पिछले महीने वेस्ट इंडीज में हुई सीमित ओवरों की सीरीज में उन्हें चुना गया। वह टी20 इंटरनैशनल और वनडे इंटरनैशनल सीरीज दोनों के लिए टीम का हिस्सा थे लेकिन टी20 मैचों में उन्होंने 19, 6 और 2 का स्कोर बनाया। इसके बाद वनडे सीरीज में उन्हें मौका नहीं दिया गया और श्रेयस अय्यर ने मध्यक्रम में बल्लेबाजी की। अब पांडे को साउथ अफ्रीका 'ए' के खिलाफ वनडे मैचों की सीरीज के लिए इंडिया 'ए' का कप्तान बनाया गया है। उम्मीद की जा रही है कि इस बार उन्हें थोड़ा वक्त दिया जाएगा ताकि वह अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी क्षमता को सही मायनों में प्रदर्शित कर सकें। पांडे ने इस मौके पर कहा, 'जब मुझे वेस्ट इंडीज सीरीज के लिए चुना गया तो मेरे जेहन में 2015 में पहली बार मिले मौके का ख्याल आ रहा था। पिछले कुछ वर्षों में प्रदर्शन में निरंतरता मेरे लिए एक बड़ी समस्या रही है। आप चाहें एक बल्लेबाज हों या गेंदबाज आपके लिए बाहर बैठना आसान नहीं होता। मुझे इस बार अधिक मौके मिलने की उम्मीद है। इससे मुझे टीम में स्थायी रूप से जगह बनाने का मौका मिलेगा। साथ ही अपनी योजनाओं पर अमल कर सकूंगा।' हालांकि टीम इंडिया के मिड-ऑर्डर में जगह बना पाना आसान नहीं है। पांडे को भी मालूम है कि इसके लिए मुकाबला कड़ा है। उन्होंने कहा, 'हर कोई टीम में जगह बनाना चाहता है। मुझे संयम रखते हुए लगातार अच्छा प्रदर्शन करते रहना होगा।' 29 वर्षीय पांडे ने कहा कि बेंगलुरु में नैशनल क्रिकेट अकादमी में राहुल द्रविड़ के साथ काम करने से उन्हें काफी फायदा हुआ। उन्होंने कहा, 'मैं बचपन से ही राहुल भाई का प्रशंसक रहा हूं। सौभाग्य से मैं भी कर्नाटक से हूं और इस वजह से जब मैं उनसे एनसीए में मिलता हूं तो मेरे पास उनसे बात करने के अधिक अवसर होते हैं। जब मैं उनसे बात करता हूं तो ज्यादा बातें मनोस्थिति को लेकर होती हैं। उनका (राहुल द्रविड़) साथ सिर्फ मेरे लिए बल्कि उनके साथ काम करने वाले हर शख्स के लिए फायदेमंद रहा है।'
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मनीष पांडे को इस बार लंबे वक्त के लिए मौका मिलने की उम्मीद
Reviewed by Ajay Sharma
on
August 28, 2019
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