BCCI के गले की फांस बनेगा ICC का यह फैसला!

नई दिल्लीअंतरराष्ट्रीय क्रिकेट परिषद () ने कोविड -19 (Covid-19) महामारी को देखते हुए अंतरराष्ट्रीय मैचों में घरेलू अंपायर रखने की सिफारिश की है, जो भारतीय मैच अधिकारियों के लिए बड़ी चुनौती बन सकती है। देश के कई मौजूदा और पूर्व मैच अधिकारियों का मानना है कि अंतरराष्ट्रीय मैचों खासकर टेस्ट मैच में कम अनुभव के कारण यह भारत के घरेलू अंपायरों के लिए चुनौतीपूर्ण होगा। पिछले साल के एलीट पैनल के अंपायरों से भारतीय अंपायर एस रवि को बाहर कर दिया गया। इसके बाद इसमें कोई भी भारतीय अंपायर नहीं है। सिर्फ 4 भारतीय हैं शामिलटेस्ट मैच के लिए अंपायरों को इसी सूची से चुना जाता है। इससे नीचे की श्रेणी में आने वाले आईसीसी के अंतरराष्ट्रीय पैनल के अंपायरों में चार भारतीय है जिसमें से सिर्फ नितिन मेनन (तीन टेस्ट , 24 एकदिवसीय और 16 टी 20 अंतरराष्ट्रीय) के पास टेस्ट मैचों का अनुभव है। इनके अलावा सी शमशुद्दीन (43 एकदिवसीय, 21 टी 20 अंतरराष्ट्रीय), अनिल चौधरी (20 एकदिवसीय, 20 टी 20 अंतरराष्ट्रीय) और वीरेन्द्र शर्मा (दो एकदिवसीय और एक टी 20) को टेस्ट मैचों का अनुभव नहीं है। इसलिए है बड़ी चुनौतीअनुभव नहीं होने के बाद भी ये अंपायर जनवरी में इंग्लैंड के खिलाफ घरेलू टेस्ट सीरीज में अंपायरिंग कर सकते है। दो टेस्ट और 34 एकदिवसीय में अंपायरिंग करने वाले पूर्व अंतरराष्ट्रीय अंपायर हरिहरन ने बताया, ‘यह एक बड़ी चुनौती है , लेकिन इसके साथ ही एक बड़ा अवसर है। विभिन्न प्रारूप में अलग - अलग तरह का दबाव होता है। टेस्ट में पास के क्षेत्ररक्षकों द्वारा दबाव बनाया जाता है जबकि सीमित ओवरों के क्रिकेट में दर्शकों का शोरगुल अंपायरों के काम को मुश्किल बनाता है।’ उन्होंने कहा, ‘सिर्फ अंपायरिंग फैसले ही नहीं , आक्रामक अपील और खराब रोशनी जैसी अन्य चीजें मुश्किल स्थिति पैदा कर सकती है। ऐसे में तटस्थ अंपायरों को स्थानीय अंपायरों की तुलना में निष्पक्ष फैसला लेने की संभावना अधिक होती है।’ मैचों में दो तटस्थ अंपायरों को रखने का नियम 2002 से लागू हुआ था। इससे पहले 1994 से लेकर 2001 तक एक स्थानीय और एक तटस्थ अंपायर रहता था। आईसीसी, स्थानीय एलीट और अंतरराष्ट्रीय पैनल के रेफरी और अंपायरों में से नियुक्ति करेगी। श्रीनाथ इकलौते रेफरीदूसरी ओर, जिस देश में एलीट पैनल के मैच अधिकारी नहीं है वहां अंतरराष्ट्रीय पैनल के मैच अधिकारियों की नियुक्ति की जाएगी। भारत में सिर्फ जवागल श्रीनाथ एलीट पैनल के मैच रेफरी है जबकि इस सिफारिश को मंजूरी मिलने के बाद अनिल चौधरी , शम्सुद्दीन और नितिन मेनन स्वदेश में टेस्ट मैचों में अंपायरिंग कर सकते हैं। अंतरराष्ट्रीय समिति के एक मौजूदा अंपायर ने कहा कि सिर्फ घरेलू मैचों में अंपायरिंग करने से उनका काम मुश्किल होगा लेकिन वह इस चुनौती का लुत्फ उठाऐंगे। उन्होंने गोपनीयता की शर्त पर कहा, ‘अगर आप घरेलू अंपायर है और घरेलू टीम खराब रोशनी के कारण खेल रोकने की मांग कर रही हे तो आपके द्वारा तटस्थ अंपायर की तुलना में उस मांग को मानने की अधिक संभावना होगी। इसी तरह अगर घरेलू टीम ने गेंद से कुछ गलत किया तो घरेलू अंपायर से कुछ छूट मिलने की संभावना रहती है। उन्होंने कहा, ‘आईसीसी ने सही कारणों से तटस्थ अंपायरों को रखने का फैसला किया था। मुझे उम्मीद है कि यह व्यवस्था थोड़े समय के लिए होगी।’ उन्होंने कहा, ‘मैं अपने अनुभव से कह सकता हूं कि ज्यादातर अंपायर अपने घरेलू टीम के मैच में अंपायरिंग नहीं करना चाहते है क्योंकि इससे दबाव अधिक रहता है।’


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BCCI के गले की फांस बनेगा ICC का यह फैसला! BCCI के गले की फांस बनेगा ICC का यह फैसला! Reviewed by Ajay Sharma on May 20, 2020 Rating: 5

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