नई दिल्ली आज भारत के महान बल्लेबाजों में शुमार दिलीप वेंगसरकर का जन्मदिन है। आज ही के दिन सन 1956 को महाराष्ट्र के राजापुर में उनका जन्म हुआ था। उनके नाम के साथ कर्नल जुड़ गया था। कर्नल- यही नाम था दिलीप वेंगसरकर का। यह नाम उनकी पहचान बन गया था। हालांकि वेंगसरकर के इस नाम का आर्मी से कोई लेना-देना नहीं था। दिलीप वेंगसरकर को यह नाम दिया था लाला अमरनाथ ने। लाला अमरनाथ का मानना था कि वेंगसरकर की बल्लेबाजी शैली काफी हद तक सीके नायुडू से मिलती-जुलती थी। साल 1975 की बात है। बॉम्बे और शेष भारत के बीच ईरानी ट्रोफी का मैच खेला जा रहा था। नागपुर के इस मैदान पर वेंगसरकर ने बिशन सिंह बेदी और इरापल्ली प्रसन्ना जैसे दिग्गज स्पिनर्स के खिलाफ जमकर बल्लेबाजी की। इनकी फिरकी का लोहा सारी दुनिया मानती थी लेकिन वेंगसरकर ने जमकर इनकी खबर ली। उनकी क्षमता देखते हुए उन्हें सीधा भारतीय टीम में जगह दे दी गई। वेंगसरकर टीम में तो आ गए लेकिन यहां उनकी रफ्तार थोड़ी धीमी रही। 1977-78 के ऑस्ट्रेलिया दौरे पर उन्होंने टीम इंडिया में अपनी जगह पक्की की। और इसके बाद अगले 15 साल तक वह भारतीय बल्लेबाजी क्रम का अहम हिस्सा रहे। लंबा कद और छरहरा शरीर, वेंगसरकर एक ऐलिगेंट स्ट्रोकप्लेयर थे। जब वह अपने पूरे शबाब पर बल्लेबाजी करते थे तो उन्हें रोक पाना आसान नहीं होता था। वह दुनिया के सर्वश्रेष्ठ गेंदबाजी की धज्जियां उड़ा सकते थे। वह कई वर्षों तक भारत के लिए नंबर तीन बल्लेबाज रहे। एक दशक से लंबे समय तक वह भारतीय बल्लेबाजी का अहम हिस्सा रहे। 1970 के दशक के अंत से लेकर 1980 के दशक के आखिरी सालों तक वेंगसरकर भारत के चोटी के बल्लेबाजों में शामिल रहे। 80 के दशक के आखिरी वर्षों में वह दुनिया के टॉप बल्लेबाजों के समकक्ष थे। 1986 से 1988 के बीच खेले गए 16 टेस्ट मैचों में उन्होंने 8 शतक लगाए। इंग्लैंड के खिलाफ लॉर्डस में तीन शतक बनाने वाले वह पहले बल्लेबाज थे। वह फ्रंट फुट पर आसानी से ड्राइव लगा सकते थे और बैकफुट पर भी उनका खेल कमाल का था। क्रिकेट का मक्का कहे जाने वाले लॉर्ड्स पर जो कारनामा उन्होंने किया वह सुनील गावसकर और सचिन तेंडुलकर भी नहीं कर पाए। दोनों के नाम लॉर्डस पर कोई टेस्ट शतक ही नहीं है। कप्तानी मिली पर गंवाई वेंगसरकर ने 10 टेस्ट मैचों में भारत की कप्तानी भी की। हालांकि 1989 में उन्हें अमेरिका में एक प्रदर्शनी मैच खेलने जाने की वजह से उन्हें अपनी कप्तानी गंवानी भी पड़ी। उन्हें टीम से अपनी जगह भी गंवानी पड़ी लेकिन जल्द ही 90 के दशक के शुरुआती साल में वह एक बार फिर भारतीय टीम में आ गए। सन 1992 में उन्होंने अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट से संन्यास लिया। करियर रेकॉर्ड वेंगसरकर ने भारत के लिए 116 टेस्ट मैच खेले और 6868 रन बनाए। उनका बल्लेबाजी औसत 42.13 का रहा। उनके नाम 17 शतक और 35 अर्धशतक रहे। वहीं 129 वनडे इंटरनैशनल मैचों में उन्होंने 3508 रन बनाए। इस फॉर्मेट में उनके नाम 23 अर्धशतक और एक शतक शामिल था।
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लॉर्ड्स का बादशाह- वेंगसरकर ने क्रिकेट के मक्का पर किया कमाल, सचिन और गावसकर भी नहीं कर पाए
Reviewed by Ajay Sharma
on
April 06, 2021
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